हम इतना शोर किस लिए कर रहे है जबकि हम सर्वधर्म की संस्कृति और उनके सम्म्मान के परिचायक है..हां हम सब एक है..
सहमत हूँ आपकी बात से और निष्पक्ष होकर बात करना पसंद करता हूँ...मोदी जी,योगी जी यहाँ तक हम सब हिंदुस्तानी है अगर हम चाहे की हिन्दू और मुसलमानो में फर्क हो तो ठीक है बाँट दीजिये आज अभी हम सब यही करते है आप मस्जिद के स्पीकर उतार दीजिये वो मंदिर के..हम उनकी पार्थनाओ को बंद कर देते है वह हमारी..गलत ही होगा ना अगर में किसी से कहूं भाईजान तुम्हारी मस्जिद की स्पीकर बहुत आवाज़ करती है यार पता है वो क्या बोलेगा "भाई मुश्किल से दिन में २० मिनिट की अज़ान करते है साल में दो चार बार मोहर्रम पर तासे ठोकते है"लेकिन सबसे ज्यादा स्पीकर तुम भी बजाते हो तुम्हारे धर्म में घंटो तक स्पीकर का सहारा ले कर आवाज़ लोगो तक पहुंचाई जाती है" चलो ये ज्ञान भी नहीं लगाए का तो सिर्फ इतना पूछेगा हमसे क्या हमारा देश नहीं है..और अगर आप चाहते हो हम दूसरे देशो की तरह इन पर पाबंदी लगाना शुरू कर दे तो करवा दीजिये उसके नतीजे पडोसी देश से आएंगे,आज इतने अमन चैन से रहने के बाद भी इस कौम के लोग उतपात मचाये हुए तो फिर कितना मचाएंगे सोचो और हां हम दूसरे देशो से तुलना करके बदल भी जाए तो क्या होगा पिछली बार इन्होने लाशो की रेल भेजी थी इस बार हम भेज देंगे..जब कोर्ट ने आदेश दिया हमने माना और बात रही सोनू निगम की तो उनसे पूछ लीजिये अगर वो देश को सुधारने चले है तो सिख ले थोड़ा मोदी जी से क्योकि मोदी जी से बड़े देश भक्त और हिन्दू तो वो है नहीं जब चुनाव जीते हमने सोचा होगा हम्म अब तो सब को पाकिस्तान भेज देंगे अरे नहीं साहब रहने दीजिये हम आपसी मामला सुलझा लेंगे क्योकि मैंने वो माहौल देखा जब इनके ईद की मिठाई मेरी नानी के घर आती थी..तब जब में घंटो तक आसिफ के साथ खेलता था मुझे तो कभी नहीं लगा में उससे कहूं भाई तेरा ये अजान का माइक निकल दे और ना उसने कहा कभी भाई ये मंदिर से आती घंटियों की आवाज़ मुझे परेशान करती है..हम आप जरूर आज इस मुद्दे पर बहस कर रहे है और क्या किसी ऐसे इंसान ने कोई बयान दिया जिसकी जबान की कीमत मानी जा सके..उधर सरकार सबको बराबर का दर्जा देने में लगी है और ऐसे में हम हिन्दू-मुस्लिम खेल रहे है मान लेते है हमने देश हित में कहा पर कहा भी तो क्या..भाई साहब शुरुवात आप और हम करते है हम इ-मिडिया और इंटरनेट पर लड़ाई छेड़ने की बजाय असल में लड़ते है,आप अगर सोचते है सोनू निगम ने सही कहा तो मैं भी मानता हूँ सही कहा पर कितने दिन हुए इस बात को उसके बाद भी लाऊडस्पीकर चालू है ये साहब गए कही बंद करवाने..नहीं आप और मैं में करते है शुरुवात हम अपने आस पास रहने वाले धर्म विशेष के लोगो से शुरुवात करते है..इन्फेक्ट घर से शुरुवात करते है..पूजा की जो छोटी वाली घंटी है ना आज से वही बजाना बंद क्यों की नीड तो उससे भी खुल जाती है..फिर धीरे धीरे आगे बढ़ते है..पर हां याद रहे इस दौरान देश का माहौल नहीं बिगड़ने देंगे ना किसी को कुछ बोलेंगे ना किसी से कुछ कहेंगे बस बदलाव अपने आप से लाते है...माफी चाहूँगा में बस एक इंसान हूँ और शायद अगले जन्म में कुछ अच्छा किया इसलिए इस जन्म में इंसान बन पाया पर जब पैदा होने वाला था तब नहीं पता कसम से हिन्दू या मुसलमान..संस्कारो ने बनाया जो भी है..लेकिन किसी बात को किसी धर्म विशेष पर बोल कर किसी के विरोध में आ जाना मुझे तो नहीं आता..हां अगर सोनू निगम जी ये कहते आज मेरी नींद स्पीकर की आवाज़ से खुल गयी सब स्पीकर बंद करवाओ तो सबसे पहले सवच्छ भारत अभियान की गाड़ियों के स्पीकर बंद होते और नतीजा ये होता की हमे भाग दौड़ भरी जिंदगी में समझ ही नहीं आता कब कैलाश वाली गाडी आ कर चली गयी..स्पीकर महज एक उपकरण है किसी धर्म से जुड़ा नहीं है इसको चालने का मतलब सिर्फ इतना है उठ जाइये थोड़े इबादत कर लीजिये खुदा की..मंदिर में चल रहे अनुष्ठानो की आवाज से आपको अनुग्रहित करवाता है..कहा कहा बंद करेंगे..हम अपनी कार से ले कर मोबाइल तक सब जगह ध्वनि पर्दूषण करते है..सब एक साथ बंद करना होगा..एक धर्म विशेष को कहने से कुछ नहीं होगा..और हां डरिये नहीं हम हिन्दू थे और हिंदी रहेंगे..मार मार कर मुसलमान पहले बनाये होंगे मुगलो ने अब नहीं..पर हम राम के बच्चे है और राम ने नहीं सिखाया बैर करना..हमने इतिहास तो पढ़ लिया लेकिन हम चाहते है इतिहास आज भी वही रहे..भारत को दुनिया क्यों मान रही "क्योकि हम आगे बड़ रहे है सबके विकास की बात कर रहे है"ऐसे कही मुद्दे है जिनको गिना सकता हूँ जिनमे खुद देश के प्रधानमंत्री ने कहा है कोई भेद-भाव नहीं किया जाएगा..और लाऊडस्पीकर वाले मामले में कभी आपने किसी शादी के फंक्शन में जा कर कहा १० बज गए अब बंद कीजिये..शायद नहीं और कहा भी हो तो क्या आपकी बात मान ली..साहब सड़को पर घूमता हूँ ऐसे कही मंजर देखता हूँ जो रूह तक उत्तर जाते है..अगर आज़ादी इस तरह से मिली है तो सच में मेरे लिए तो सही नहीं है..बोलने की आज़ादी का मतलब सिर्फ बोलने से जोड़ लिया पक्ष-विपक्ष का कोई रोल ही नहीं..एक पल को सोचिये कैसा लगेगा जब आपको रस्ते में रहीम घायल मिले और आप बस इसलिए मुँह मोड़ ले क्योंकी वो रहीम है..नहीं शायद उस वक़्त में या आप बस एक इंसान होंगे..खैर जाने दीजिये बात कहा से शुरू हुयी और कहा चली गयी..बस अगर बदलना है तो पहल हमे अपने आप से करनी होगी दूसरे देशो को मत देखो वहां बहुत कुछ होता है हमसे माल्या..दाऊद वापस नहीं आ रहे है वो घुस कर लादेन मार आये है...जय हिन्द
लेखन- विजयराज पाटीदार
लेखन- विजयराज पाटीदार
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