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पहले चुबंन का मर्म स्पर्श....

                                                                     चुम्बन का स्पर्श


बात उन दिनों की है जब मैंने M.B.A. के साथ साथ Job करना भी स्टार्ट कर दिया था क्यों की बिटटू के देवास चले जाने और अपने आप को अकेलेपन से दूर रखने के लिए मैंने सोच लिया था की शायद जॉब होगी तो में अपने आप को दुनिया के बीच शायद उलझाये रख पाऊँ क्यों की उन दिनों में मेरा बिट्टु के बिना रह पाना मुश्किल ही था और होता भी यही है जब आपको को जिंदगी में पहली बार एक से दो होने का अहसास होता है स्टार्टिंग से ही कॉम्यूनिकेट होने में इंटरेस्ट था इसलिए मैंने अपने काम के कम समय में ही अच्छी image ऑफिस में बना ली थी कुछ दिनों बाद एक बहुत ही प्यारे चेहरे का भी ऑफिस में आना हुआ नाम जितनी प्यारी थी उससे कही ज्यादा उसकी स्माइल थी और हो भी क्यों ना शायद लड़किया इतनी प्यारी होती भी है जिन्हे देख कर लगता है ये जहाँ भी जाये जिसकी भी जिंदगी बने उसे संवार सकती है क्यों की कही कही एक लड़के को क़ाबिल बनाने में लड़किया ही शायद बहुत कुछ होती है या तो वो जिंदगी भर साथ निभा कर कर उसे काबिल बना देती है या बीच रस्ते में साथ छोड़ कर उसे दुनिया के रिवाज़ समझा देती है और नाम जितना बोल्ड था उतना ही उसका नेचर भी वो लाइफ को खुल कर जीने  वालो में से एक थी,"शीतल" यही नाम था उसका age २२ साल रही होगी कद ,, सावला रंग और अष्टपुष्ट शरीर,आँखे बड़ी सी,मुस्कान किसी बच्चे से कम नहीं,लिप्स उतने ही प्यारे जितनी स्माइल,
शीतल का ऑफिस में आना सबको अच्छा लगा और खास कर मुझे क्यों की उसकी ट्रेनिंग मेंरे अंडर दी गयी थी..में और वो बस अपना काम करते रहते थे..कुछ बाते और उन बातो से कब नजदीक गए पता ही नहीं चला..शाम को अक्कसर दोनों घूमने साथ जाने लगे..शीतल और में दोनों दरअसल एक दूसरे का दर्द समझ चुके थे उसके साथ शायद वही सब हो रहा था जो उस समय अपने और बिट्टू के बीच महसूस कर रहा था नजदीकियां इतनी बढ़ गयी थी थी की उसने और मैंने बहुत सी यादे अपने जहन में समेटना शुरू कर दी थी..कुछ बात ऐसे ही होती है जो आपको किसी और के इशारो से पता चलती है बस यही हुआ मेरे शीतल के रिस्ते में भी..जब आप कामकाज में बिजी होते तब आपके साथ कुछ ऐसा हो जाता है की आपको अहसास ही नहीं होता है शीतल समझ चुकी थी मैं मन ही मन उसे पसंद करने लगा हूँ  ..और इस फासले को कम किया याहू मेससंजर ने..ऑफिस में काम करते करते मेरे डेक्स्टॉप पर एक मैसेज शो हुआ..
Sheetal: hiMe: hiiSheetal: thanksMe: why?Sheetal: आज शाम को मिल सकते हो...?
me : ठीक है.जब शाम को हम मिले तब उसने बहुत बाते की..
आप को पता है..
क्या..?
यही की आपकी स्माइल बड़ी प्यारी हैओह्ह मतलब एक लड़की एक लड़के पर लाइन मार रही हैहम्म कुछ ऐसा ही समझ लीजिये...
अच्छा और कुछ ज्यादा समझ गया तो..
तो क्या..?
कुछ नहीं जाने दीजिए..
मेने बात को मोड़ने की कोशिश की लेकिन शायद उसको बाते वही करनी थी जो वो सोच कर आयी थी..
ऐसे ३० मिनिट तक में उसकी बाते सुनता रहा..पहर मुझे लगा बंदी हॉट है,कूल है, सेक्सी है पहर इतना क्यों सोचना पर सच कह तो वो मुझे इसलिए पसंद थी क्यों की वो दुनिया को समझने के लिए नहीं जीती थी बल्कि वो दुनिया को एन्जॉय करना चाहती थी..जब दो लोग एक दूसरे के साथ रहते है तो वो एक दूसरे की आदतों को समझने लगते है..और यही मेरे और शीतल के बीच हुआ..दिनों से कब एक महीना बीत गया मिले को समझ ही नहीं आया..
ऐसे ही एक दिन रात को बात करते करते दोनों मे शर्त लग गयी..
Sheetal-: तुम मुझे kiss नहीं कर सकते..
Me-: क्यों नहीं कर सकता..?
Sheetal-: आप में वो बात नहीं..
Me-: क्या बात नहीं साफ़ बोलो यार..
नहीं छोड़ो..नहीं छोड़ना पहले बोलो क्यों नहीं कर सकता..
असल में वो मुझे उकसा रही थी..होता है जब कोई आपके सामने खुल कर इस तरह की बात करे और फिर आपकी मर्दानगी पर सवाल उठाये तो आप झल्ला जाते और शायद मैंने भी उस जोश जोश में होश खो कर एक ऐसी शर्त के लिए हां कर दी जिसमे ना हरने का डर था बल्कि अगर पकडे जाते तो "बीन बरसात कीचड़ होना लाज़मी था"...मैंने भी बोल दिया kiss भी करूँगा और ऑफिस में ही करूँगा..
फिर क्या था अगले दिन से ही टास्क स्टार्ट हो गया..फर्स्ट डे ऐसे ही चला गया.. बहुत कोशिश करने के बाद भी हम दोनों को थोड़ा भी अकेले में समय नहीं मिला या कहूं की किसी ने हमे अकेला ही नहीं छोड़ा..शायद वजह थी कम स्पेस वाले ऑफिस में ज्यादा बड़ी टीम का का काम करना..
मैंने भी ऑफिस के बाद हॉस्टल निकल गया और भी उसके हॉस्टल चली गयी..मैं तो सोच की हर डर रहा था या तो शीतल से हारना पड़ेगा या फिर रिस्क ले कर उस शर्त को जितना पड़ेगा..तभी..
.०० बजे होंगे रात के तब शीतल को कॉल आया,,,
हेलोह्म्म्मक्या हुआ आज आप आये नहीं मेरे साथ वाशरूम तक..
अच्छा आपको लगता है ये इतना आसान होगा,,,
नहीं है, तो मुश्किल पर सुना है आपके लिए कुछ मुश्किल नहीं है "शायद यही वो आसानी से कर जाती थी "मर्दानगी से छेड़-छाड़
ये बोल कर आपको लगता है की में kiss कर ही दूंगा..
आपका तो पता नहीं पर कल आपने नहीं किया तो में सबके सामने कर दूंगी..
ह्म्म्म..अच्छा तो अभी के लिए गुड नाईट सुबह देखते है kiss होगा या नहींअगले दिन ऑफिस में पूरा टाइम वो और में चैट करते रहे..लन्च टाइम हो चूका था सब खाने के लिए वेट कर रहे थे..तब शीतल वाशरूम हैण्ड वाश करने गयी तब में भी चला गया वाशरूम और ऑफिस स्टाफ सीटिंग के बीच में किचन भी बना था वही मैंने शीतल को रोक लिया..
शीतल की आँखों में थोड़ी सी ख़ुशी और थोड़ा डर भी था किसी के देख लेने का..पर कहते है ना जब दिल पर कोई बात जाये तो फिर किसी बात का डर रहता ही नहीं है..
बस फिर क्या था..
शीतल को अपनी बाहो में लिया..मेरे दोनों हाथ उसकी कमर पर थे और आँखे उसकी बंद आँखों में अपने आप को ढूंढ रही थी..धीरे धीरे लबो के फासले भी कम हो रहे थे..और फिर उसके सुर्ख होंटो पर होंटो का चुम्बन..कुछ देर मुझे खुद नहीं पता मैं और वो इतने क़रीब चुके थे जितने की पहले बातो से..
मिनिट का वो समय मुझे और उसको हमेशा याद रहने वाला था..जब प्यार भरा अहसास ख़त्म हुआ और उसके मुझे छोड़ पाने की इच्छा के बाद जब हम दोनों अलग हुए तब  उसकी आँखों में अजीब सी चमक थी शायद वो चाहती ही नहीं थी की ये कभी खत्म हो..
और जब खाने पर आये तो मुझसे नज़रे ही नहीं मिला पायी क्यों की जितनी बार वो मुझे देखती बस वो पल ठहर सा जाता..शीतल और में अक्कसर शाम को घूमने निकल जाया करते थे..हाथ को थामे बहुत सी बातो के साथ जो पल देखा भी नहीं उसके बारे में सोचने का जैसे रोज काम था..
जिंदगी भर याद रखने वाला समय वो दे चुकी थी..इसके बाद कही बार हम एक दूसरे के साथ सपने देख चुके थे कब ये दोस्ती प्यार में और फिर बहुत से समाज विरोधी रिश्तो में में बदल गयी ना वो समझ पायी ना में....
उस पहले चुम्बन के बाद फिर  जैसे होंटो के अहसास रोज होने लगे हो कभी कभी तो सुबह ही उसके सुर्ख लबो को छू कर होती थी..एक पल कहती थी हम साथ रहेंगे और दूसरे ही पल कब महीने चले गए और हमे एक दूसरे से दूर जाना पड़ा..पर सच कहुँ ना तो  जिंदगी में दूसरी लड़की रही थी शीतल जिसके साथ में हसींन सपने देख चुका था,,लेकिन वो कहते है ना कोई भी बात कभी ख़त्म नहीं होती वही उसके और मेरे बीच आज भी रही..और वो थी... प्यार के पहले चुम्बन का स्पर्श....................................................................
  

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