उन्मुक्त समाज का थप्पड़ ...
आज बात थोड़ी सी अलग करूँगा क्यों की पिछले कुछ सालो से हमारा समाज एक बीमारी से ग्रसित है और वो है उन्मुक्त समाज का थप्पड़ " जी हां ये एक ऐसा सत्य है जो कानून से कही ऊपर अपने आप को मानता है...पिछले दिनों एक घटना मेरे सामने आयी थी किसी ने चलती बस में पॉकेट मार दी और भी किसी एक लड़के को पकड़ कर समाज के चंद ठेकेदारो ने बीना सोचे समझे अपने बंधे हाथ खोल दिए..सबक सिखाना सही था पर क्या आज बस एक मात्र यही तरीका रह जाता है...असल में गुनाह हमारा है अपने आप को ऐसा बना रखा की इस तरह समाज में बीमारी दौड़ रही है...एक लड़की या लड़का अपने जीवन के यौवन में होते है तब अक्कसर प्रेम करने की गलती इस धूर्त समाज में कर बैठते है..फिर बात आगे बढ़ती है और सामाजिक लोगो की तर्ष्णा फुट फुट कर बाहर आती है,
सरे राह मुँह कला कर दिया जाता है,गधे पर सवार कर दिया जाता है,गालिया दी जाती है...और आज कल तो एक नया ट्रेंड चला पड़ा है इस तरह की घटना का विडियो बनाओ और सोशल नेटवर्किंग साईट पर अपलोड कर दो..नहीं भाई इंसान है गुनाह हो भी गया थो कानून है ना सजा देने के लिए..क्यों इस तरह उन्मुक्त समाज का हिस्सा बन कर जिंदगी भर के लिए जिल्लत परोस रहे हो...पोर्न विडियो बंद हो गयी है लेकिन लोग आज भी प्यार में पिटाई,चोरी की सजा,मैडम को छेड़ा,अंकल की बुरी नियत में धुलाई..इस तरह के टॉपिक बहुत चलन में आ रहे है और ये युवा समाज के लिए ही नहीं बल्कि हर उस इंसान के लिए घातक है जो इस तरह समाज को देखना चाहता है..
मैंने या मेरे लिखे ब्लॉग से कभी समाज के प्रति गुस्सा नहीं दिखाया हां पर थोड़ा बोल्ड,सेक्स,बदलाव होता है बस वो इस लिए की समाज में सबसे ज्यादा युवा है, और हर युवा उन्मुक्त समाज का थप्पड़ बन रहा है या ये उसे पड़ भी रहा है...कुछ समाज के ठेकेदार अपने आप को बहुत ऊपर मानते है शायद भगवन से भी ऊपर..
बदलाव आना चाहिए क्यों की ये थप्पड़ एक दिन बीना वजह के हमारे,आपके निर्दोष गाल पर भी पड़ सकता है और हो सके तो ऐसी भीड़ का हिस्सा ना बने तो ही बेहतर है....................................
written by- vijayraj patidar
आज बात थोड़ी सी अलग करूँगा क्यों की पिछले कुछ सालो से हमारा समाज एक बीमारी से ग्रसित है और वो है उन्मुक्त समाज का थप्पड़ " जी हां ये एक ऐसा सत्य है जो कानून से कही ऊपर अपने आप को मानता है...पिछले दिनों एक घटना मेरे सामने आयी थी किसी ने चलती बस में पॉकेट मार दी और भी किसी एक लड़के को पकड़ कर समाज के चंद ठेकेदारो ने बीना सोचे समझे अपने बंधे हाथ खोल दिए..सबक सिखाना सही था पर क्या आज बस एक मात्र यही तरीका रह जाता है...असल में गुनाह हमारा है अपने आप को ऐसा बना रखा की इस तरह समाज में बीमारी दौड़ रही है...एक लड़की या लड़का अपने जीवन के यौवन में होते है तब अक्कसर प्रेम करने की गलती इस धूर्त समाज में कर बैठते है..फिर बात आगे बढ़ती है और सामाजिक लोगो की तर्ष्णा फुट फुट कर बाहर आती है,
सरे राह मुँह कला कर दिया जाता है,गधे पर सवार कर दिया जाता है,गालिया दी जाती है...और आज कल तो एक नया ट्रेंड चला पड़ा है इस तरह की घटना का विडियो बनाओ और सोशल नेटवर्किंग साईट पर अपलोड कर दो..नहीं भाई इंसान है गुनाह हो भी गया थो कानून है ना सजा देने के लिए..क्यों इस तरह उन्मुक्त समाज का हिस्सा बन कर जिंदगी भर के लिए जिल्लत परोस रहे हो...पोर्न विडियो बंद हो गयी है लेकिन लोग आज भी प्यार में पिटाई,चोरी की सजा,मैडम को छेड़ा,अंकल की बुरी नियत में धुलाई..इस तरह के टॉपिक बहुत चलन में आ रहे है और ये युवा समाज के लिए ही नहीं बल्कि हर उस इंसान के लिए घातक है जो इस तरह समाज को देखना चाहता है..
मैंने या मेरे लिखे ब्लॉग से कभी समाज के प्रति गुस्सा नहीं दिखाया हां पर थोड़ा बोल्ड,सेक्स,बदलाव होता है बस वो इस लिए की समाज में सबसे ज्यादा युवा है, और हर युवा उन्मुक्त समाज का थप्पड़ बन रहा है या ये उसे पड़ भी रहा है...कुछ समाज के ठेकेदार अपने आप को बहुत ऊपर मानते है शायद भगवन से भी ऊपर..
बदलाव आना चाहिए क्यों की ये थप्पड़ एक दिन बीना वजह के हमारे,आपके निर्दोष गाल पर भी पड़ सकता है और हो सके तो ऐसी भीड़ का हिस्सा ना बने तो ही बेहतर है....................................
written by- vijayraj patidar
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