मजबूरियाँ
कहानी के दो ही किरदार होते है बाकी तो सब बेमाने से लगते है..जिन्हे खुले आस्मां से तितलियाँ बटोरने का शौक़ हो वो कभी किसी की कैद में नहीं रहते..उन्हें खुद में खो जाने का घुमान होता है खुद में डूब जाने का अहसास होता है..जिन्हे ना लोगो की परवाह होती है ना ज़माने के सही गलत चोचलो में उलझने का डर..ऐसा कुछ सलोनी सोचती थी शादी के पहले उसने शादी को लेकर बहुत सपने देखे थे वैसे तो अक्क्सर सपने नींदो में बंद आँखों से देखे जाते है..पर सलोनी जागते हुए खुली आँखों से सपने देखती थी..
तुम मुझे कभी टाइम नहीं दे पाते हो,मेरे उठने के पहले चले जाते और सोने के बाद आते हो..दो साल हो गए सीड अब तक हमने बच्चे के बारे में भी नहीं सोचा..वो नेहा की शादी मेरे साथ ही हुयी थी दो साल में दो बेबी है उसके और तुम देख लो तुमने आज तक ढंग से कभी रात भी अंधेरो से नहीं छंटने दी..जितना गुस्सा था सब सलोनी अपने पति पर उतर चुकी थी..सुबह की चाय अगर सीड को पिछले दो साल से ऐसी ही मिल रही थी तो जरूर कोई बात थी..जो दोनों की फूल सी जिंदगी में भौंरा बनकर रस चूसने आ चुकी थी
कहानी के दो ही किरदार होते है बाकी तो सब बेमाने से लगते है..जिन्हे खुले आस्मां से तितलियाँ बटोरने का शौक़ हो वो कभी किसी की कैद में नहीं रहते..उन्हें खुद में खो जाने का घुमान होता है खुद में डूब जाने का अहसास होता है..जिन्हे ना लोगो की परवाह होती है ना ज़माने के सही गलत चोचलो में उलझने का डर..ऐसा कुछ सलोनी सोचती थी शादी के पहले उसने शादी को लेकर बहुत सपने देखे थे वैसे तो अक्क्सर सपने नींदो में बंद आँखों से देखे जाते है..पर सलोनी जागते हुए खुली आँखों से सपने देखती थी..
तुम मुझे कभी टाइम नहीं दे पाते हो,मेरे उठने के पहले चले जाते और सोने के बाद आते हो..दो साल हो गए सीड अब तक हमने बच्चे के बारे में भी नहीं सोचा..वो नेहा की शादी मेरे साथ ही हुयी थी दो साल में दो बेबी है उसके और तुम देख लो तुमने आज तक ढंग से कभी रात भी अंधेरो से नहीं छंटने दी..जितना गुस्सा था सब सलोनी अपने पति पर उतर चुकी थी..सुबह की चाय अगर सीड को पिछले दो साल से ऐसी ही मिल रही थी तो जरूर कोई बात थी..जो दोनों की फूल सी जिंदगी में भौंरा बनकर रस चूसने आ चुकी थी
Saloni calling to sidharth
Saloni: hello,
Sidharth: hello, who is this?
Saloni: i am shaloni aacharya..
Sidharth: okk..what to do you call me..
Saloni: if you don’t mine you are play boy...?
Sidharth: yes..
Saloni: actually i am unstisefied with my hubby..i wanna
meet and sex with you i will pay good money.
Sidharth: okk..send me your address we will meet..
Saloni: noo..we are not comfort at home..we meet any hotel..
Sidharth: okk..but i will not pay hotel charge..
Saloni: okk,
Sidhart: send me msg time and hotel address..
Saloni: thanks....
ये बात हो
रही है थी
एक असन्तुष्ट लेडी
और सेक्स प्ले
बॉय के बीच
में आज कल
जिंदगी की दौड़
में लोग शारीरिक
सन्तुष्टि को भूल
ही गए है
मेट्रो की तरह भागती जिंदगी मेट्रो
सिटी की लाइफ
में कितना बदलाव
लाती है और
कही न कही
ये बदलाव लोगो
की पूरी जिंदगी
खराब कर देते
है...ऐसा आज
एक मेट्रो सिटी
बिज़नस स्टार्ट हो
गया है सदियो से चला
आ रहा था
लेकिन आज ट्रेंड
ने ट्रैक बदल
लिया शायद पहले
पुरुष अगर महिला
के साथ अपनी
सेक्स रिलेशन से
खुश नहीं होता
था तब वो
जी बी रोड
जैसे गलियो में
टहलने निकल जाया
करता था धीरे
धीरे चीज़े बदली
और सोच भी
अब महंगाई बाद
गयी और कमाने
की चाह भी
सब किसी न
किसी तरह से
असन्तुष्ठ है...
ये कहानी एक स्टूडेंट
के प्ले बॉय
बनने और एक
न्यूली मैरिड वोमेन के
असन्तुष्ठ सेक्स के इर्द
गिरध घूमेगी जिससे
कैसे परिवार के
रिस्तो में दरार
आ जाती है
धीरे धीरे रिस्तो
की बुनियाद खोकली
हो कर गिर
जाती है..
सिद्धार्थ महेश्वर से अपनी
स्टडी के लिए
कोटा गया था
सुना कोटा में
iit प्रेपरेशन
हब बना हु
है शायद यही
बात उसके भी
मन में बैठी
हुयी थी बारवी
की एग्जाम के
बाद ही सिद्धार्थ
महेश्वर से कोटा
चला गया सिद्धर्थ
के माँ बाप
इतने भी अमीर
नहीं थे की
उसकी हर ख़ुशी
पूरी कर पाए
जैसे तैसे सिद्धर्थ
ने एक साल
कोटा में निकलने
के साथ ही
iit एग्जाम में पार्ट तो लिया पर
शायद मेहनत कम
रही इस वजह
से दूसरे साल
ड्राप लेने की
बजाय सिद्धार्थ ने
इंदौर के ही
एक कॉलेज से B.E करना
ठीक समझा...
बात B.E. के दूसरे साल
की रही होगी..सिद्धार्थ को अपने
ख़र्च के लिए
रुपये कम पड़ने
लगे..और शायद
एक अच्छी सिटी
में रहते है तो जरूरी है फैशन
के साथ जुड़े
रहना..पर सिद्धार्थ
शायद कुछ ज्यादा ही
जुड़ चूका था..घर से
दिए जाने वाले
पैसे पूरी तरह
से एक महीने
भी नहीं चल
पते थे..फिर
इधर उधर से
उधर मांग कर
सिद्धार्थ काम चालने
लगा...कुछ दिन
बाद कही से
मदद ना मिलने
पर एक फ्रेंड
ने मज़ाक में
सिद्धार्थ को इस
तरह से कहा..
"तू प्ले बॉय क्यों नहीं बन जाता..तेरे अंदर वो क़ाबिलियत भी है ...हाहाहाहा"
उसको बुरा लगा और उसने गुस्सा दिखा कर वहां से निकलना ही ठीक समझा...
"तू प्ले बॉय क्यों नहीं बन जाता..तेरे अंदर वो क़ाबिलियत भी है ...हाहाहाहा"
उसको बुरा लगा और उसने गुस्सा दिखा कर वहां से निकलना ही ठीक समझा...
..
..
..
..
दो दिन बाद
ऐसे ही गूगल
पर दोस्त की
फ्री एडवाइस seriouse हो
कर डाल दी...
प्ले बॉय जॉब
इन इंदौर..गूगल
सर्चिंग.............
रिजल्ट
show मेनी जॉब फॉर
प्ले बॉय यंग
एंड हैंडसम बॉय..
सिद्धार्थ ने ऐसी
ही एक वेब
साइड पर क्लिक
किया..
ओपन थिस पेज
प्लीज रजिस्टर्ड your बायोडाटा..ये वैसे
ही था जैसे
कोई शादी वाली
वेब साइड पर
रजिस्टर्ड होना....
सिद्धार्थ ने अपना
बायोडाटा वेबसाइड पर रजिस्टर्ड
करवा दिया..
Hight: 5,8
Wight: 59 kg
Skine: fair
Body: slime..(36 cheast,penise size 8inch)
Vergine
(शायद इस टाइप
का बायोडाटा ही
अपलोड किया जाता
है प्ले जॉब
के लिए..)
और चार्ज ऐसे लिए
जाता है जैसे
कोई नॉकरी पोर्टल
की साइड हो..फर्स्ट आर्डर का
आधाउसके बाद २०%...
सिद्धार्थ भी खुश
था क्यों की
उसकी बीना फोटो
वाली प्रोफाइल इस
प्ले जॉब पोर्टल
पर शो हो
रही थी..
..
.....
..
कुछ दिन कोई
रिस्पांस नहीं फिर
सिद्धार्थ को कॉलेज
में कॉल आता
है और सिद्धार्थ
एड्रेस note कर
पहुच
जाता है...
ये सिद्धार्थ का फर्स्ट
क्लिंट आर्डर था..सिद्धार्थ
थोड़ा uncomfert फील कर
रहा था क्यों
की फर्स्ट क्लाइंट
एक आंटी थी
जिनकी age ४२ रही
होगी..फिगर मेन्टेन
था और हस्बैंड
और बच्चे घर
से बहार रहते
थे यही वो
टाइम होता है
जब फॅमिली पैसो
के पीछे भागती
है और घर
की मर्यादा असन्तुष्टि
की वजह से
प्ले जॉब पोर्टल
पर टाइम बिताने
लग जाती है...
सिद्धार्थ का पहला
आर्डर कम्पलीट हो
चूका था और
पहली कमाई भी
उसके हाथो में
थी लगभग २०००-/
रुपये पोर्टल को
जो pay करना
था वो pay करने के बाद
भी सिद्धार्थ के
पास बहुत कुछ
बच जाता था...
.
.
...दिन और समय
किसी के लिए
नहीं रुकते और
शायद यही हो
रहा था..अब सिद्धार्थ
प्ले बॉय sid बन
चूका था...
..
..
सिद्धार्थ की माँ
का फ़ोन के
दिन सिद्धार्थ की
जिंदगी में कुछ
नया जोड़ने वाला
था..
हेल्लो सिद्धार्थ मां बात
कर रही हूँ..
हां माँ बोलिये..सब ठीक
है न घर
पर..?
हां यहाँ सब
ठीक है..तू
सूना..अच्छा सुन
तेरे लिए लड़की
देखि है घर
वाले उसके तुझे
बुला रहे है..
नहीं माँ अभी
नहीं..
नहीं क्या, २३
का हो गया
है..अब नहीं तो कब..
क्या यार माँ
आप सब मेरी
शादी के पीछे
पड़े...इतना कह
सिद्धार्थ ने कॉल
रख दिया...
फिर वही काम
कॉल आये तू
चले जाओ..असल
में सिद्धार्थ खुश
था कुछ रेगुलर
कस्टमर भी थी
जो सिद्धर्थ को
चार्ज देने के
साथ ही गिफ्ट
भी दे दिया
करती थी..
समय बीतता चला गया
और इस बार
माँ ने एक
नहीं सुनी..
सिद्धार्थ की सगाई
रतलाम की शलोनी
के साथ पक्की
हो चुकी थी..शलोनी भी सिद्धार्थ
के comparaission में एक
अछि लड़की थी
हाइट ५.५ वजन ४८
स्किन fear और फिगर
३२,28,३२..
सिद्धार्थ भी शलोनी
को चाहने लगा
था धीरे धीरे
वो दिन भी
आ गया जब
दोनों की शादी
हो गयी..शादी
के बाद सब
ठीक था क्यों
की सिद्धार्थ और
शलोनी अभी घर
ही थे पर
जब सिद्धार्त ने
अपने काम को
ले कर परेशानी बताई
तो घर वालो
उन्हें इंदौर भेज दिया..यहाँ आ
कर दोनों खुश
थे सिद्धार्थ सुबह
जल्दी ही साइबर
चला जाता और
अपना सब काम
वही से हैंडल
करता था लेट
नाईट आने की
वजह से शलोनी
थोड़ी परेशां हो
जाती थी पर
यही सब ३
महीने चला तो शलोनी ने सिद्धार्थ
से पूछ ही
लिया...
सिद्धार्थ ऐसा क्या
काम होता है
की तुम्हे कब
जाना पड़ जाये
ये फिक्स ही
नहीं है..
सिद्धार्थ में जवाब
में सालोनी को
गुस्सा परोस दिया..एक औरत
सब सह लेती
है पर अपमान
और जिल्लत नहीं..सलोनी ने भी
शायद बातो का
घूंट तो पी
लिया था पर
सम्भोग की आत्म
संतुष्टि शायद नहीं
भूल पा रही
थी..
होना वाजिब था सिद्धार्थ
पैसे ले कर
अमीर घरानों की
बे-परवाह ओरतो
की शामें थो
रंगीन कर रहा
था पर उसकी
खुद की जिंदगी
का दिया बुझ
रहा था...धीरे
धीरे समय बदलता
गया और ६
महीने बीत गए..
सिद्धार्थ भी बिजी
हो गया था
डिमांड जो बाद
गयी थी एक
दिन में ४-५ क्लाइंट
को satisfy करना था
और घर पर
आ कर फिर
कुछ नहीं कर
पता सलोनी जब
भी सेक्स की
बाते करती सिद्धार्थ
मुह फेर लेता...
अब सलोनी समझ चुकी
थी उसकी संतुष्टि
सिद्धार्थ नहीं पूरी
कर सकता...इसलिए
सलोनी ने अपने
कॉलेज के दिनों
में एक ऐसे
ही प्ले बॉय
पोर्टल के बारे
में सूना था..कुछ देर
में वही साइड
गूगल पर सलोनी
ने सर्च जिसके
जरिये से सिद्धार्थ
इस धंधे में
आया था..
सलोनी प्रोफाइल चेक कर
के वह से
सिद्धार्थ का बिज़नस
नंबर ले कर
कांटेक्ट किया....
Saloni calling to sidharth
Saloni: hello,
Sidharth: hello, who is this?
Saloni: i am shaloni aacharya..
Sidharth: okk..tale what to do you call me..
Saloni: if you don’t mine your play boy...?
Sidharth: yes..
Saloni: actually i am unstisefied with my hubby..i wanna
meet and sex with you i will pay good money.
Sidharth: okk..send me your address we will meet..
Saloni: noo..we are not comfort at home..we meet any hotel..
Sidharth: okk..but i will not pay hotel charge..
Saloni: okk,
Sidhart: send me msg time and hotel address..
Saloni: thanks....
अब सलोनी ने सिद्धार्थ
को मीटिंग के
लिए कैफ़े कॉफ़ी
डे में बुला
लिया था इधर
सलोनी ने सिद्धार्थ
को मश्ग छोड़
दिया था "में
मौसी के घर
जा रही हूँ
शाम को आऊँगी"
सलोनी थोड़ी डरी
हुयी थी लेकिन
सिद्धार्थ थो रोज
ही ऐसी मीटिंग
करता है
उसको सब आम
लगा...
सलोनी ने ८
नंबर टेबल बुक
की और एंट्री
की और पीठ
करके बैठ गयी....
सिद्धार्थ भी आ
ही गया था..उसने सलोनी
को फ़ोन लगा
कर टेबल नम
पूछा....
पहुँचने से पहले
उसने एक फ्लावर
बुके भी परचेस
किया क्यों की
सिद्धार्थ अच्छे से जान
चूका था इन
चार सालो में
की किस तरह
से अपनी क्लाइंट
के साथ ऐसे
फील आएगी उसकी
वो रेगुलर क्लाइंट
बन जाये..
सिद्धार्थ...हेल्लो..(पीछे से
ही विश किया
सलोनी को)
सलोनी ने कोई
रिप्लाई नहीं दिया
क्यों की वहां
और भी कपल
थे...जब सिद्धार्थ
ने सामने जाकर
हेल्लो बोला तब
उसके होश उड़
चुके थे क्यों
की इस बार
कोई और नहीं
उसकी ही पत्नी
उसके सामने थी
और वो भी
किसी गलतफहमी की
वजह से नहीं
बल्कि दोनों सामने
थे अपनी अपनी
जरूरत के लिए..सलोनी सेक्स के
लिए और सिद्धार्थ
पैसे कमाने में...सलोनी ने सिद्धार्थ
से जो कुछ
कहा वो बीएस
इतना ही था...."सॉरी sid मुझे नहीं
पता था तुम
ये काम करते
हो में इसलिए
इस जगह आयी
थी क्यों की
इसकी वजह तुम
थे सिर्फ तुम..........और सलोनी
वहां से चली
गयी.....
..
...
..
घर पहुँचने के कुछ
देर बाद ही
सलोनी ने एक
लेटर सिद्धार्थ के
नाम छोड़ कर
अपने हाथ की
नसे चाकू की
तेज़ धार के
हवाले कर चुकी
थी...
.
..सिद्धार्थ
जब घर पहुँचा
तो उसने गेट
पर आवाज़ दी
लेकिन सलोनी खोल
नहीं सकती थी
क्यों की तब
बहुत देर हो
चुकी थी...
सिद्धार्थ ने पड़ोसियों
की मदद से
दरवाजा तोडा लेकिन
अंदर का हाल
देख कर उसके
होश उड़ चुके
थे क्यों की
बाथरूम खून से
सनी हुई और
सलोनी शायद अब
नहीं थी.....
..सिद्धार्थ
के घर पहुँचने
तक शायद इतनी
देर हो चुकी
थी की सलोनी
को बचाया नहीं
जा सका...
पुलिस को पड़ोसियों
ने इन्फॉर्म किया
और सलोनी की
डेथ बॉडी को
पोस्टमार्टम के लिए
भेज दिया..फॉरेंसिक
टीम को एक
लेटर वही सलोनी
के पास से
मिला जिसमे अपनी
मौत का जिम्मेदार
खुद को बताया
गया था लेकिन
सिद्धार्थ के नाम
भी एक मैसेज
छोड़ा था उसने....
सिद्धार्थ मैं तुम्हारी
बन कर आयी
थी और बिलकुल
नहीं चाहती थी
की में तुम्हारे
बीना रहूँ भी
पर तुम पैसे
कमाने में इतने
गिर गए की
तुम्हे सब रिस्तो
की कोई फ़िक्र
नहीं रही...मैं
ये सब नहीं
सकती थी और
तुमसे नज़रे भी
नहीं मिला पाती
यही सोच कर
जिंदगी भर रोती
रहती...मुझसे जो हुआ
मुझे माफ़ कर देना
पर में भी
मजूबर थी मुझे
तुम्हारी जरूरत थी और
तुम नहीं थे
साथ............तम्हारी और सिर्फ
तुम्हारी सलोनी....
..
..
....३ महीने के बाद
सिद्धार्थ भी दुनिया
को छोड़ चूका
था..और इस
बार ये लेटर
माँ पाप के
नाम था...
सॉरी मां में
ना तुम्हे ना
पापा को ना
सलोनी को किसी
को खुश नहीं
रख पाया..अब
जा रहा हूँ
अगर सलोनी मिलेगी
तो उसको बोलूंगा
में सिर्फ उसका
हूँ,,......................................
मुझे माफ़ कर
देना जिंदगी
के सफर में
आपको अकेला छोड़
कर जा रहा
हूँ ....आपका सिद्धार्थ............
यही होती है
मजबूरियाँ कभी कभी
आपसे वो भी
करवा लेती है
जो शायद दुनिया
की नज़रो में
तो गलत है
ही लेकिन खुद
की नज़रो में
भी गलत है
ये कहानी काल्पिनक
है लेकिन शायद
ये आज के
पैसे और सेक्स
के पीछे भागती
हुयी दुनियाँ के
मुँह करारा जवाब
भी है...............................
Written by vijayraj patidar
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