*कड़वे वचन* क्या आप पहले ही दिन तैरना सीख जाते है?,नही ना डूबते है अपने आप को बचाने की कोशिश करते हो,डरते हो फिर भी किसलिए तैरना सीख रहे हो,इसलिए ही ना की किसी दिन मुसीबत आयी और तुम डूब गये तो कौन बचाने आयेगा। अरे मूर्खो जब जीवन मे सैकड़ों बार डूबने के बाद तैरना सीख सकते हो तो,किस वजह से हार के डर से आगे नही बडना चाहते हो। क्या होगा गिरेगा,फिर से उठ जाना,चोट लगेगी दर्द सह लेना,पर रूकना नही है बाॅस दुनिया औरत की महामारी की तरह है चार दिन मे सारे माह का दर्द दे जाती है। कोशिश लगातार कर,और जब तक कर तुझे सुकून ना मिल जाये। सीख-: विजयराज पाटीदार
फेसबुक की वाल पोस्ट से इस सपने की दुनिया तक आना यकीनन बहुत ही मजेदार रहा है जब कॉलेज में हुआ करता था तब शायद अच्छा शायर हुआ करता था..पर जिंदगी मे हुये कुछ अनचाहे बदलावो ने जिंदगी कब एक लेखक की कलम में बदल दी समझ ही नही पाया,जब भी वक्त मिलता है वहीं लिखता हूँ जो मन मे होता हैं कभी लोगों की प्रतिक्रिया देख कर नही लिखा अच्छा या बुरा सब कुछ इस किताब के पन्नों में जिंदगी के खट्टे अनुभवों के साथ परोस रहा हूँ,ये सब कहानियाँ कहीं ना कहीं युवाओं की कहानियों से मेल खाती नजर आयेंगी हर तरह से कोशिश की है..