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"अवसाद"

                                "अवसाद"
नमस्कार प्रिय पाठकों आप सब का स्वागत हैं आज एक युवा मोटीवेशनल के साथ आज हम बात करेंगे तनाव,दबाव और लगातार मिल रही असफलताओ से कैसे सामना करें। और उससे उबरने का प्रयास कैसे किया जा सकता हैं।
दरअसल मैंने अपने हर लेख को युवाओं को समर्पित किया हैं और इस लेख को भी युवाओं के समकक्ष रखने का प्रयास करूँगा।
इस लेख का टाइटल "अवसाद" ज़रूर दिया है पर इसे आप जरा भी अवसाद मे ना पढे।
असल मे यह कहानी एक ऐसे इंसान की हैं जो कभी हार से नही डरता और आप सब उसको जानते हैं,
कहीं बार मैंने देखा युवा चाहे वो लड़की हो या लड़का बहुत जल्दी दबावों मे आ जाते हैं, परीक्षा मे नंबर कम,कोई थोड़ा कुछ बोल दे,या कोई जीवन मे धोखा दे दें।
 और तुरंत एक युवा अवसाद मे आ जाता है विडंबना यह हैं की आज का युवा फालतू की बातों मे अपने आप को घिरा हुआ पाता हैं वैयक्तित रूप से यह कोई समस्या नही असल मे यह एक बीमारी हैं।
परीक्षा मे असफल मैं भी हुआ,प्रेम मे असफल मैं भी हुआ,बिजनेस मे असफल मैं भी हुआ पर जो भी सीखा वह बस इतना है अवसाद हमें अपने ही देते है और बाहर भी इस बीमारी से अपने ही निकालते है।
अभी दो दिन पहले की ही बात है मेरे दोनो छोटे भाई मेरे लिये बहुत बड़े बन चुके थे एक ने अपनी समझ से और दूसरे ने अपनी ताकत से मेरे साथ खड़े होकर मुझे अवसाद नाम के एक टुचचे से दलदल मे जाने से रोका।
मैं बस हर युवा से यहीं कहूँगा अपनी परेशानी अपनो से शेयर करो अब चाहे वो आपके खून का अपना हो या आपके अहसासो से जुड़ा।
मैं अक्सर अपनी परेशानियों मे सबसे ज्यादा अपने आप को महफूज पाता हूँ वजह भी साफ हैं तब मैं और मजबूत के साथ शुरुआत करता हूँ।
और उम्मीद करूँगा हर युवा अपनी ताकत और काबिलीयत को पहचाने व ऐसे समय मे उन सब लोगों के बारे मे जाने जो ऐसी परेशानी से बाहर आये हैं।
युवराज सिंह को कैंसर हुआ पर उससे लड कर फिर अपनी जिंदगी शुरू की और शतक बनाये,निक एक मोटीवेटर हे और उनके जन्म से हाथ पैर नही हैं परंतु आज वो करोड़ो निराश लोगों के प्रेरणा सत्रोत हैं।

"जीवन अनंत है कभी हार मत मानो"

धन्यवाद
विजयराज पाटीदार 

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