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"फासला"

                                          "फासला"


Dear Drmzzz, ये पंक्तियाँ सिर्फ आपके लिये हैं।
तुमसे मुलाकात होना भी अजीब अहसास था,
ना नाम था ना पता फिर भी तुमसे मिलने को दिल बेताब था
किस लिये घंटो तक तेरा इंतजार इ-मीडिया पर करता था,
जब तुमसे बात हो जाया करती थी,नींद भी दस्तक दे दिया करती थी।
अब आता हूँ जब चित्रों मे तेरा दिदार हुआ किस्मत मे यूँ मिलना मुनासिब ना था।
तेरी उन बडी सी आंखों से लेकर,गले की सुराही तक बस था तारीफ-ए-काबिल।
तेरे गुलाबी होंठों की रंगत भी अक्सर मेरी नींदो को बिगाडा करती थी।
हाथो का छुअन जब भी महसूस करता हूँ,तन-मन मे उमंग प्यार वाली दौड़ जाया करती थी।
दूरियाँ लाख सही थी तेरे मेरे दरमियाँ जमाने की,फिर भी तु हर बात मान लिया करती थी।
समझ नही पाता कभी कभी, तो क्या इतनी बेसब्री तुझे भी हैं प्यार की।
तेरे डर से मैं कभी जीत नही पाऊँगा,,तेरी मुस्कान के लिये हारता भी चला जाऊँगा।।
तु मेरी कल्पनाओं मे हमेशा रहेंगी,तेरी यादों को लेकर दफन मैं। हो जाऊँगा।
अगर मन मे है तेरे मोहब्बत,,तो बंया कर तेरे लिये खुशियाँ ही ढूँढ कर लाऊँगा।
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Dear drmzz...आपके लिये

written by- vijayraj patidar

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