Skip to main content

Nelson Mandela Biography in Hindi

Nelson Mandela Biography in Hindi

Nelson Mandela नेल्सन मंडेला का जन्म 1918 में दक्षिणी अफीका की माडीवा जनजाति में हुआ था जो दक्षिणी अफ्रीका के पूर्वी हिस्से में थेम्बू लोगो का एक छोटा सा गाँव था | जन्म के समय नेल्सन मंडेला का नामरोलीलाहला डालीभुंगाथा जिसे बाद में स्कूल के अध्यापक ने बदलकरनेल्सनएक अंग्रेजी नाम दिया था | नेल्सन मंडेला के पिता थेम्बू शाही परिवार के सलाहकार थे | Nelson Mandela नेल्सन जब केवल नौ वर्ष के थे तब उनके पिता की मृत्यु हो गयी थी | पिता की मौत के बाद उनको मुखिया जॉनगिनटावा के  संरक्ष्ण में रखा गया |
1943 में वो पहले अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस के कार्यकर्ता के रूप में शामिल हुए उसके बाद ANC यूथ लीग के संस्थापक बने थे | 1944 में उन्होंने एवलिस मेस नामक महिला से विवाह कर लिया और तीन संतानों का जन्म हुआ लेकिन 1957 में उनका तलाक हो गया था | इसके बाद Nelson Mandela ने वकालत पास की और अपने साथी ओलीवर टोम्बो के साथ जोहान्सबर्ग में वकालत करने लगे | उन दोनों ने मिलकर रंगभेद के खिलाफ आवाज उठायी थी | इसी कारण 1956 में उनके साथ 155 कार्यकर्ताओ पर मुकदमा लगाया गया जिसे चार साल बाद खत्म कर दिया गया |

1958 में उन्होंने माडीकिजेला नामक महिला से दूसरा विवाह किया जिसने नेल्सन मंडेला को जेल से छुडवाने में अहम भूमिका अदा की थी | 1960 में ANC पर प्रतिबन्ध लग गया जिसके कारण नेल्सन मंडेला को भूमिगत होना पड़ा था | अब उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक अभियान चलाया | इस कारण उन पर हिंसक कारवाई का आरोप लगाया गया और उन्हें बंदी बना लिया गया | अब उन्होंने स्वय के बचाव में प्रजातंत्र ,स्वतंत्रता और समानता के विषय में विचार व्यक्त किये | 1964 में उन्हें आजन्म कारावास की सजा सुनाई गयी |
1968 और 1969 के बीच में Nelson Mandela की माँ की मौत हो गयी और एक सडक दुर्घटना में उनके पुत्र की भी मृत्यु हो गयी थी लेकिन उन्हें उन दोनों के अंतिम संस्कार में शामिल होने की इजाजत नही दी गये | वो 18 वर्ष तक रोबन द्वीप पर सजा काटते रहे | 1982 में उन्हें पोल्सपुर जेल लाया गया | निर्वासित टोम्बो ने उन्हें मुक्त कराने के लिए 80 के दशक में एक अन्तर्राष्ट्रीय अभियान चलाया था | विश्व समुदाय ने दक्षिणी अफ्रीका में रंगभेद निति का कड़ा विरोध किया जिसके कारण उन लगी पाबन्दिया हटाकर उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया | अब ANC और नेशनल पार्टी मिलकर  बहुजातीय प्रजातंत्र बनाने के बारे में विचार करने लगे |


दिसम्बर 1993 में Nelson Mandela मंडेला को नोबल शान्ति पुरुस्कार से सम्मानित किया गया | इसक पांच महीने बाद दक्षिणी अफ्रीका के इतिहास में पहली बार सभी जातियों ने चुनाव में वोट दिया और फलस्वरूप ANC को 400 में से 252 सीटे मिली | स्पस्ट बहुमत के चलते ANC की सरकार बनी और नेल्सन मंडेला राष्ट्रपति बने | 1997 में उन्होंने मबेकी के लिए अपना स्थान छोड़ दिया | सेवानिवृत्त होने के बाद वो विश्व भ्रमण को निकले , अनेक नेताओ से मिले और कई पुरुस्कार प्राप्त किये |धीरे धीरे वो सार्वजनिक जीवन से दूर हो गये और उनके द्वारा स्नस्त्थापितमंडेला फाउंडेशनके लिए काम करने लग गये | 5 दिसम्बर 2013 को 95 वर्ष की उम्र में उनकी मृत्यु हो गयी और उनके अंतिम यात्रा में काफी लोग शामिल हुए थे |

Comments

Popular posts from this blog

आत्महत्या या ह्त्या..?

जीवन ऊपर वाले का दिया हुआ सबसे अनमोल तौहफा है फिर ना जाने क्यों इस अनमोल तौह्फे की कद्र नहीं कर पाते दरअसल में बात जीवन की नहीं बल्कि इस जीवन में हमसे जुड़े लोगो की भी है क्यों कोई कैसे अपने आपको ख़त्म कर लेता है क्या उसको उससे जुड़े किसी इंसान की जरूरत ने नहीं रोका होगा..ये तब सोचता था जब मैंने जिंदगी को इतने करीब से नहीं जाना था.. असल में बहुत कुछ होता है जो हमे रोकता है इस तरह करने से पर इन सब बातो से भी ऊपर वो है जो अब तक हम जिंदगी जीने के लिए सहते आये..मान,सम्मान,पैसा,भविष्य सब कुछ जब लगता है सुरझित नहीं है तब इंसान अपने आप को जहर की गोलियों में,फांसी के फंदे में,धार की गोद में ढूंढता है..इस वजह से इस कहानी को नाम दिया है..आत्महत्या या हत्या..? हत्या इसलिए भी क्यों की ये समाज द्वारा,परिवार द्वारा दी गयी मौत ही तो है जो जिंदगी हारने  पर मजबूर करती है... बात पिछले दिनों की है दो मासूम बच्चियां सारी रात बिलखती रही अपनी माँ की बंद आँखों को खोलने की कोशिश करती रही..ये समाज का दिया उपकार ही तो था, या फिर खुद का जिंदगी से हार जाना..वो चली गयी है अब ये समाज के सामने का पहलु है.. लेकिन

अच्छी लड़की......

लोग मेरे साथ रह नही सकते उनको लगता हैं निहायती बदद्तमीज,बद्दिमाग इंसान हूँ और सिर्फ इसलिए नही कह रहा हूँ क्योंकि ये मैं सोचता हूँ बल्कि इसके पीछे एक खास वजह हैं "मैंने जिंदगी में कभी कोई काम सही तरीके से सही करने की कोशिश नही की" लोगों ने मेरे साथ रिश्ते बनाये उन्हें बेडरूम की बेडशीट की तरह इस्तेमाल किया यहाँ बेडरूम की बेडशीट शब्द का उपयोग इसलिए सही हैं क्योंकि कुछ रिश्ते चेहरों से शुरू होकर बिस्तर पर बाहों में बाहें डाले हुये दम तोड़ देते हैं साथ छोड़ देते हैं "बैडरूम की बेडशीट और लोगो से मतलब सिर्फ गंदगी भरी उलझनों से है लिखते समय हरगिज़ नहीं सोचता क्या लिख रहा हूँ पर सच कहूं तो ये वो सड़ांद है जो समाज के दिमाग में आज भी भरी है" और मेरे जैसे नामाकुल "कुल" की लाज भी नही बचा पाते हैं मुझे समझना नामुमकिन था इसलिए लोगों ने कुछ उपनाम दे दिये इसलिए की मैं बुरा इंसान हूँ लेकिन आप जानते हैं जब आदमी चोंट खाता हैं तो फिर वो दुनिया को ठेंगा दिखाने लग जाता हैं क्यों वो जान चुका होता हैं उसे राॅकस्टार के रनबीर कपूर की तरह अंत मे नरगिस मिल जायेगी वो नरगिस जो समाज की

कल की बात और मिताली राज

कल की बात और मिताली राज ................. ................... रविवार का दिन,ऑफिसियल छुट्टी,फुर्सत या ये कह लीजिये एक बैचलर के लिए तमाम वो काम करने का दिन जो वो सप्ताह के ६ दिन नहीं कर सकता,सुबह वैसे नहीं हुयी जैसे रोज होती थी..आज थोड़ी देर तक सोया,लगभग साढ़े नौ बजे तक जब आँख खुली तो दीपक और सचिन अपनी कॉम्पिटिशन एक्साम की तैयारियो में वयस्त थे,मैंने ब्रश करने के बाद सीधे डेयरी पर जाकर दूध और पास वाले रेस्टॉरेंट से पांच पुड़िया पोहे पैक करवाये..रूम पर आकर हम सब ने संडे को स्पेशल बनाने के लिए कोई बेवजह का मुद्दा नहीं छेड़ा और ना किसी बात पर चर्चा की,आंटी ने खाना बनाया,.....हां क्या बनाये? इस पर थोड़ी चर्चा करने के बाद दाल बाटी बनाने का DECISION हुआ अब बारी थी निचे जा कर मकान मालकिन से ओवन लाने की अगर गांव में होता तो माँ गाय के गोबर से बने कंडो की धुनि बनाकर बाटी भार देती लेकिन शहरो ने गांवों के रिवाजो,परम्पराओ को लील लिया जैसे एक कुंवारी कन्या को एक चुटकी सिन्दूर सुहागन होने की सैज पर लील जाता है लेकिन दूसरी और आज का दिन ख़ास और बहुत ख़ास भी होने वाला था मिताली राज और उनकी टीम की पंद्रह-स