जीवन मे पश्चाताप की ज़रूरत इतनी ही हैं।
जितनी जरूरत नंगे बदन पर कपडो की।।
ना ज़रूरत से ज्यादा ना उससे कम।।
जितनी जरूरत नंगे बदन पर कपडो की।।
ना ज़रूरत से ज्यादा ना उससे कम।।
(सीखते रहिये जीवन सरल व अनंत हैं)😁
फेसबुक की वाल पोस्ट से इस सपने की दुनिया तक आना यकीनन बहुत ही मजेदार रहा है जब कॉलेज में हुआ करता था तब शायद अच्छा शायर हुआ करता था..पर जिंदगी मे हुये कुछ अनचाहे बदलावो ने जिंदगी कब एक लेखक की कलम में बदल दी समझ ही नही पाया,जब भी वक्त मिलता है वहीं लिखता हूँ जो मन मे होता हैं कभी लोगों की प्रतिक्रिया देख कर नही लिखा अच्छा या बुरा सब कुछ इस किताब के पन्नों में जिंदगी के खट्टे अनुभवों के साथ परोस रहा हूँ,ये सब कहानियाँ कहीं ना कहीं युवाओं की कहानियों से मेल खाती नजर आयेंगी हर तरह से कोशिश की है..
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